sindhu ghati sabhyata

हैल्लो । यह ब्लॉग विषेेेश  कर mission REET 2020 के आधार पर बनाया गया है ।  यहाँ पर सिर्फ महत्वपूर्ण नोट्स को ही हमने एड किया है । क्योंकि सम्पूर्ण सभ्यता को हम एक साथ पढ़ नही पाएंगे लेकिन कुछ भाग को हम इस छोटे रूप में पढ़ कर याद कर सकते है और प्रतियोगी परीक्षा के लिए हम खुद को तैयार कर सकते है।।। यह ब्लॉग विशेष कर REET 2020  के नवीनतम पाठ्यक्रम के आधार पर S.S विषय पर ही यह ब्लॉग बनाया गया है । 


सिंधु घाटी सभ्यता :-

       
      
    सिंधु सभ्यता की मूल विशेषताए :- 
      वस्तु विनिमय
      सिंधु सरस्वती के मैदानी भागों में नगर सभ्यता का विकास हुआ।
       बर्टन बन्धुओ द्वारा 1856 में हड़प्पा सभ्यता स्थल की सूचना सरकार को दी।
      1861 ई  में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की स्थापना कनिंघम ने की ।
       1904 ई में जोन मार्शल निदेशक बने ।
      1922 ई में दयाराम साहनी ने हडप्पा स्थल का उत्खनन किया  ।


    नोट :- 1921 में "माधोस्वरूप वत्स" ओर "दयाराम साहनी" ने तत्कालीन भारतीय पुरातत्व विभाग के महानिदेशक "सर जॉन मार्शल " के नेतृत्व में पाकिस्तान के बाएं किनारे पर '"हडप्पा" स्थल की खुदाई की ।
     

      1925 में "अर्नेस्ट मैके "द्वारा चुनहुदाड़ो स्थल का उत्खनन किया ।

      वर्तमान में 1500 स्थलों पर उत्खनन किया जा चुका है जिन्हें समुहिक रूप से हडप्पा संस्कृति कहते है ।




    इस सभ्यता की उत्पत्ति




        जॉन मार्शल , गार्डन चाइल्ड, मार्टिलार व्हीलर आदि के मतानुसार यह मेसोपोटामिया के सुमेरियन सभ्यता से उत्पन्न हुई है। 



    सिंधु सरस्वती सभ्यता के प्रमुख स्थल


      भारत (पंजाब) :- रोपड़ (चंडीगढ़) , लोथल व धोलावीरा (गुजरात) , कालीबंगा (राजस्थान के हनुमानगढ़)

      पाकिस्तान :- मोहनजोदड़ो , हड़प्पा , कोटदीजि ओर चुनहुदाड़ो । 


    सिंधु सभ्यता का विस्तार



       भारत विभाजन तक 40 बस्तिया खोजी जा चुकी थी ।
      भारत विभाजन के बाद सभी हड़प्पाकालीन स्थल पाकिस्तान में चले गए ।
       भारत मे 2 सीमावर्ती क्षेत्र :-
       1:-पंजाब के सतलज के किनारे रोपड़ के समीप "कोटला हंगल खान ।
       2 :- काठियावाड़ (गुजरात) मे भादर नदी के किनारे "रंगपुर" 

      वर्तमान में अफगानिस्थान , पाकिस्तान , ओर भारत मे इसका विस्तार मिलता है । 

      पूरी सभ्यता के क्षेत्र का आकार त्रिभुज के आकार का है ।

        प्रारम्भ में इसका पूरा क्षेत्रफल 1299600 वर्ग किलोमीटर था ।

    सरस्वती नदी



      इस नदी तट पर वेदों की रचना होने का प्रमाण प्राप्त हुआ है। 
      वैदिक संस्क्रति का जन्म इसी नदी किनारे पर हुआ था ।

     इस नदी का उदगम शिवालिक पहाड़ी से माना जाता है , जो हरियाणा राजस्थान में होती हुई कच्छ की खाड़ी में गिरती थी।  

      इस नदी को सिंधु नदी की माँ भी कहा गया है। 



    सिंधु सभ्यता का काल निर्धारण

      इसका काल निर्धारण प्रमुख रूप से "मेसोपोटामिया" में "उर" ओर "किश" स्थलों से प्राप्त हड़प्पाई मुद्राओ के आधार पर किया गया है।  

      मोटे रूप से हडप्पा का काल निर्धारण काल 2300- 1750 ई.पू स्वीकार किया गया है  । जो डी. पी अग्रवाल द्वारा किया गया कार्बन पदत्ति पर आधारित है ।

    सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषताए


     यह एक नही घाटी सभ्यता थी। 

      शांतिप्रिय सभ्यता थी  क्योंकि यहां से किसी भी प्रकार के हथियार के अवशेष प्राप्त नही हुए है । 
      
     इन्होंने तांबे की धातु की खोज कर ली थी। 

      यह कस्ययुगीन सभ्यता भी कहलाती है  ।

      वे लोहे ओर घोड़े से अपरिचित थे।  

      सेंधव लोग चाक निर्मित उत्कृष्ट मृतभाण्ड बनाते थे। 

      यह सभ्यता मातृ सत्तात्मक थी। क्योंकि यहाँ पुरुष देवता की तुलना माता देवी की प्रमुखता थी ।
     
    यह नत्य करती हुई एक प्रतिमा काफी प्रचलित हुई है ।


    सिंधु सरस्वती सभ्यता का नगर नियोजन एवम प्रमुख नगर

      हडप्पा के दुर्ग में सबसे अच्छी इमारत धन्यगारो की थी ।


      पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना जिले में सिंधु नदी के दाहिने किनारे पर मोहनजोदड़ो नामक स्थल का उत्खनन 1922 में राखालदास बनर्जी ने किया था। 

      मोहनजोदड़ो सबसे सुंदर शहर और क्षेत्रफल में भी सबसे बड़ा था। 

     मोहनजोदड़ो का शाब्दिक अर्थ मृतकों का टीला है । जो सिंधी भाषा का शब्द है । इसे सिंधु का नखलिस्तान या सिंधु का बाग कहा जाता है । 

     स्टुअर्ड नीगट ने हडप्पा व मोहनजोदड़ो को सिंधु की जुड़वा राजधानियां भी कहा है ।।

      मोहनजोदड़ो में खास तालाब बनाया गया था जिसको पुरातत्वविदों ने महान स्नानागार कहा है ।

      मार्शल ने विशाल स्नानागार को तत्कालीन विश्व का आश्चर्यजनक / अद्भुद निर्माण बताया है ।


    कालीबंगा


     कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ काले रंग की चूड़ियां है।

      कालीबंगा राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में घग्गर नदी के बाएं किनारे पर स्थित इस नगर की सर्वप्रथम खोज सन 1953 में अमलानंदघोष ने की थी ।
     
      डॉ. दशरत शर्मा के अनुसार कालीबंगा को सिंधु सभ्यता की तीसरी राजधानी भी कहाजाता है ।

      कालीबंगा में भूकंप का सबसे प्राचीन साक्ष्य मिला है जिसका समय 2600 ई. पू है। 


     बनवाली


    यह हरियाणा के हिसार के (फतेहाबाद) जिले में सरस्वती नदी के नाले रँगाई के किनारे स्थित है ।।

     यहाँ से मिट्टी का बना हल तथा बढ़िया किस्म का जौ प्राप्त हुआ है ।

      कालीबंगा ओर लोथन में अग्निकुंड
      हडप्पा मोहनजोदड़ो ओर लोथल में भंडार ग्रह मिले। 

    गुजरात मे हडपा कालीन नगर


     
     कच्छ के खदिर बेत के किनारे धोलावीरा नगर था। 

      धोलावीरा का अर्थ सफेद कुँआ है ।।

      धोलावीरा एक मात्र नगर जो नदी के किनारे बसा हुआ नही है ।

      धोलावीरा तीन भागों में विभाजित है। 

      धोलावीरा में प्राचीनतम बांध के साक्ष्य मिले है ।

      धोलावीरा में स्टेडियम के भी साक्ष्य मील है ।

      आर. एस राव ने लोथल को लघु हडप्पा या लघु मोहनजोदड़ो कहना पसन्द किया ।

      मोहनजोदड़ो के बाद लोथल को भी मृतको का टीला  या मृतको का जीवित शहर कहा गया है ।

      लोथल में क्षति प्रथा का प्रचलन माना जाता है ।

       लोथल के पूर्वी भाग में गोडवाड duckyard  के साक्ष्य मील है। 

     सिंधु घाटी के लोगो ने सर्वप्रथम कपास की खेती करना प्रारम्भ किया ।

     भारतीय उपमहाद्वीप में पालतू भेस का प्राचीनतम साक्ष्य मेहरगढ़ से प्राप्त हुआ थे।

     सिंधु सरस्वती सभ्यता का लुप्त होना**

    सिंधु घाटी सभ्यता के लुप्त होने के अलग अलग प्रमाण प्राप्त होते है ।। जैसे:-

      नदी की बाढ़ के कारण :- जॉन मार्शल , अर्नेस्ट मैके , आर. एस राव

      जलवायु परिवर्तन :- ऑरेल स्टाइन ओर अमलानंदघोष

      जल प्लावन के कारण :-  एम. आर साहनी 

     नदियों का मार्ग परिवर्तन :-  लेम्बरीक , माधोस्वरूप , डेल्स 

      महामारी व प्राकृतिक आपदा :- यू. आर. केनेडी , मोहनजोदड़ो से प्राप्त कंकालों के आधार पर । 






    कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न जो कि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जा चुके 

      हड़प्पा सभ्यता के अभिलेख मुख्यतह मुहरों पर बने है ।

      भारतीय इतिहास में 20वी शताब्दी का तीसरा दशक महत्वपूर्ण रहा क्योंकि इस काल मे सिंधु सभ्यता की खोज हुई।  

      मिस्र सभ्यता हड़प्पा सभ्यता के समकालीन थी ।

       बृहत स्नानागार को सर जॉन मार्शल ने विश्व का अद्भुद निर्माण कहा ।

      कालीबंगा में अग्निकुंड के साक्ष्य मिले। 

      कालीबंगा में भूकंप के साक्ष्य मिले। 

      बनावली में से मिट्टी के हल का मॉडल मिला । 






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    1 टिप्पणियाँ
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    1. केसी है ये ब्लॉग दोस्तो ।।। मुझे तो अछि लगी।। लेकिन ओर भी पोस्ट डालनी चाहिए इस तरह की।।।

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    if you have any doute. please let me know